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बौद्व धर्म के इन पांच नियमों से खिल उठेगा आपका वैवाहिक जीवन।

बौद्व धर्म के इन पांच नियमों से खिल उठेगा आपका वैवाहिक जीवन। वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिये बौद्व धर्म में पूरूषों और स्त्रियों के लिये ये पांच नियम बताये गये हैं - पूरूषों के लिये -                               १. अपनी पत्नी के का ह्रदय से सम्मान करो ।                        २. पत्नी के व्यक्तिगत मनोभावो के कारण क्रोधित मत हो । ३. अपनी पत्नी के सिवाय किसी दूसरी स्त्री से प्रेम न करो । ४. पत्नी के भोजन वस्त्र की सदा फिक्र रखो । ५. पत्नी को समय समय पर उपहार लाकर दो । स्त्रियों के लिये - १. पति घर में आने पर उठकर उनका स्वागत करो । २. इसी प्रकार उनके घर से बाहर जाने पर अभिनेंदन करो। पति के लौटने तक उनके लिये भोजन तैयार करके रखो तथा घर के दूसरे काम भी समाप्त कर लो । ३. किसी अन्य पुरूष से प्रेम न करो । पति क्रोध में हो तुम शांत हो जाओ । ४. पति की आज्ञाओं का पालन करो और...
अपने प्रियतम को समय दें  :-                       इस दुनिया में प्रत्येक चीज समय मांगती है । समय देकर हम कुछ भी पा सकते हैं । कुछ भी करना है तो समय का इन्वेस्टमेंट जरूर करना पङता है । अपनी जिंदगी में हम जिस भी चीज पर समय लगाते हैं उसमें हम अनुभवी हो जाते हैं और सफल हो जाते हैं । पढना है तो पुस्तकों को समय चाहिये, पैसा कमाना है तो नौकरी अथवा व्यवसाय को समय चाहिये, शारीरिक सौष्ठव हासिल करना है तो व्यायाम  को समय चाहिये, अध्यात्मिक प्रगति करनी है तो ध्यान को समय चाहिये अगर साइकिल भी सीखनी है तो साइकिल को समय चाहिये और तो और पास खेलते बच्चे को भी आपका ध्यान, आपका समय चाहिये अगर बहुत देर तक किसी ने उसकी तरफ देखा तक नहीं कि वह क्या खेल रहा है तो वह भी जोर जोर से रोने लगता है।  जब एक बच्चे को भी आपका समय चाहिये आपका ध्यान (अटेंशन) चाहिये तो इसी आपकी तो शादी हुई है सुखी जीवन के बहुत से सपने सजाये एक शहजादी ने आपके जीवन में प्रवेश किया है, बहुत से खुशियों की आशा लिये, उर्जा से भरपूर, जिंदगी मे...
यह करें और फिर देखें अपने संबंधों में जादू -     आप एक प्रयोग करके देखें किसी दो साल के बच्चे को कोई काम ठीक से ना करने पर उसे जोर से डांटे और फिर से उस काम को ठीक से करने को कहें, आपकी डांट से बच्चा संकुचित हो जायेगा और फिर से डांट न पङ जाये इस भय से उस काम को डरता हुआ सा करेगा और ऐसा करने पर संभावना होगी कि उसमें उससे फिर से गलती हो जाये ।     अब इसी बच्चे को कोई काम करने पर आप शाबाशी दे ं और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरें। अब आपको बच्चे की बिल्कुल ही अलग प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी ।     बच्चा स्वंय ही उस काम को दुबारा करने के लिये आतुर रहेगा आपकी प्रशंसा और प्यार को पाने के लिये आपके ना कहने पर भी उसी काम को दुबारा आपके लिये करेगा वो भी प्रफुल्लित मन से, आप पाओगे कि  बच्चे ने वह काम और भी बेहतर तरीके से किया है ।                इससे क्या सिद्व होता है? इससे सिद्व होता है कि प्रशंसा पाने की ललक मनुष्य की नैसर्गिक आवश्यकता है । बङे होने पर भी हमें इसकी बेहद अावश्यकता होती है । आप इस नैसर्गिक गुण...