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वैवाहिक जीवन में अपने गुस्से को कैसे काबू करें:-                                                                       

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क्रोध उस दावानल की भांति हैं जो मनुष्य के विवेक व बुद्वि को जलाकर भस्म कर देता है । बहुत से रिश्ते क्षणिक क्रोध से टूट जाते हैं । इतिहास में बहुत से बङे बङे युद्व सिर्फ क्रोध के कारण हुये हैं । क्रोध व्यक्ति के अहम् का सबसे बङा पोषक है।जिसमें जितना ज्यादा अहंकार होगा उसे उतना ही अधिक क्रोध आयेगा । 

आप अपनी शादी के बाद आपस में एक समझौता करें कि जब एक गरम होगा तो दूसरा नरम होगा और जब दूसरा गरम होगा तो पहला नरम होगा ।यानि कि एक को गुस्सा आये तो दूसरे को चुप रहना है और दूसरे को गुस्सा आये दो पहले को चुप रहना है । चुप रहना सीखें ।  बस सिर्फ इस एक समझौते से आपकी पूरी जिंदगी सुखपूर्वक व्यतीत हो सकती है । 

लेकिन अब आप मुझसे पूछना चाह रहें होंगे  कि दूसरा गरम तो फिर नरम होना ही तो सबसे मुश्किल काम है यही तो नहीं हो पाता तो इसके लिये मैं आपका बताना चाहूंगा कि -
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i) जब आप दोनों में से कोई एक गुस्से में हो जाये तो आपको चाहिये कि उसकी गुस्से भरी बात को सुनकर जो पहली प्रतिक्रिया आपके मन में पहले आये उसे आप व्यक्त ना करें , आने वाली दूसरी प्रतिक्रिया को व्यक्त करें ।

ii) निश्चय कर लें कि जब भी गुस्सा आयेगा 10 तक गिनती गिननी है उसके बाद ही कुछ बोलना है ।

iii) जब भी आपको गुस्सा आये याद रखें कि कुछ भी कहने से पहले आपको पहले एक गिलास पानी पीना है और फिर कुछ कहना है । 

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अगर आप अपने क्रोध को व्यवस्थित कर लेते हैं तो न सिर्फ वैवाहिक जीवन बल्कि आपका सामाजिक व आर्थिक जीवन भी संवर सकता है । ध्यान रखें मैंने क्रोध को बिल्कुल समाप्त करने के लिये नहीं कहा है ,कहीं कहीं थोङा गुस्सा भी जरूरी होता है । 

मैंने कहा है कि क्रोध को व्यवस्थित करना है अर्थात् नियंत्रित करना है मतलब आपको गुस्सा कब आये ये आपके हाथ में हो किसी दूसरे के हाथ में नहीं । अपने गुस्से की चाबी अपने पास रखें दूसरे के हाथों में ना दें । आप ऐसा कर पाते हैं तो न केवल वैवाहिक जीवन में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में यह आपकी सबसे बङी जीत होगी ।

लेखक - विजय कुमार यादव 

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